मिल गया था जो मुकद्दर वो खो के निकला हूँ,
मैं एक लम्हा हूँ बस रो रो के निकला हूँ,
राह-ए-दुनिया में मुझे कोई भी दुश्वारी नहीं,
मैं तेरी ज़ुल्फ़ के पेंचों से हो के निकला हूँ।
मिल गया था जो मुकद्दर वो खो के निकला हूँ,
मैं एक लम्हा हूँ बस रो रो के निकला हूँ,
राह-ए-दुनिया में मुझे कोई भी दुश्वारी नहीं,
मैं तेरी ज़ुल्फ़ के पेंचों से हो के निकला हूँ।
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