रात भर मुझको ग़म-ए-यार ने सोने न दिया, सुबह को खौफ़-ए-शब-ए-तार ने सोने न दिया, शमा की तरह मेरी रात कटी सूली पर, चैन से याद-ए-कद-ए-यार ने सोने न दिया।
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