खयाल को आहट की आस रहती है,
निगाह को किसी सूरत की तलाश रहती है,
तेरे बिन कोई कमी नहीं है ऐ दोस्त,
बस गली वाली जमादारनी उदास रहती है।
खयाल को आहट की आस रहती है,
निगाह को किसी सूरत की तलाश रहती है,
तेरे बिन कोई कमी नहीं है ऐ दोस्त,
बस गली वाली जमादारनी उदास रहती है।
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