चाहत हुई किसी से तो फिर बेइन्तेहाँ हुई,
चाहा तो चाहतों की हद से गुजर गए,
हमने खुदा से कुछ भी न माँगा मगर उसे,
माँगा तो सिसकियों की भी हद से गुजर गये।
चाहत हुई किसी से तो फिर बेइन्तेहाँ हुई,
चाहा तो चाहतों की हद से गुजर गए,
हमने खुदा से कुछ भी न माँगा मगर उसे,
माँगा तो सिसकियों की भी हद से गुजर गये।
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